रविवार, 28 अगस्त 2016


 जार्ज पंचम के आगमन पर वर्ष 1910  में बना रेस्ट हाउस सूपखार  बालाघाट


बालाघाट जिले के कान्हा पार्क अंतर्गत गढ़ी बफर जोन क्षेत्र के समरिया /  सूपखार ग्राम जिस में जंगल के बीच   यह  बेहद खास रेस्ट हाउस है। ब्रिटिश शासनकाल में जार्ज पंचम
के आगमन पर वर्ष 1910 में निर्मित   रेस्ट हाउस की छत को घास से ढंका गया   था। जार्ज पंचम को घास के कारण मिलने वाली ठंडी हवा ने  काफी आकर्षित किया था।  
तनशी घास से ढंका यह रेस्ट हाउस मौसम बदलने के साथ ही अपनी तासीर भी  बदल लेता है।  1910 के इतिहास क़ो  यहाँ  पर  खूबसूरती से  संवारने काफी प्रयास किया गया है । यह बाहर से देखने में सामान्य झोपड़ी से भी ज्यादा अहमियत नहीं रखता।
इस जगह तक प्रिंस ऑफ़ वेल्स ने भी कान्हा की यात्रा के दौरान देखी  थी। 
पुराने जमाने की मोटे कपड़ो से निर्मीत हाथ से कमरे की बाहर रस्सी पकड़ कर  झूलाने वाले पंखे ,तथा बढ़िया पेंटिंग रेस्ट हॉउस को और भी खूबसूरत बनाती थी।
रेस्ट हाउस के समीप करीब 20 हेक्टेयर भूमि पर उन दिनों चीड़ पाईन का प्लांटेशन कराया गया जाकर खूबसूरती को संवारने काफी प्रयास किया गया है । तथा रेस्ट हॉउस के पास  ही कॉफी  के पौधे भी  दीखते है ।  बारीक सुई जैसे पत्तो वाली   पेड़ और ( हार्ड सुन्दर फल जो की सजावट की वस्तुओ को बनाने के काम भी आती है ) प्रकृति का इतना सुन्दर मनोरम नजारा देख   आने वाले भी आश्चर्य में पड़ जाते हैं। 
जिसके बीच घूमने पर आपको किसी भी हिल स्टेशन  के सड़को में घूमने  से किसी भी मायने में कम नही लगेगा। 
लेकिन अब आपको इस रेस्ट हाउस और  इस रोड में घूमने हेतु अनुमति की आवश्यकता होगी। क्युकी  एक बार टाइगर के द्वारा  चौकीदार के बेटे पर अटैक कर खा जाने की घटना हो चुकी है।  
                             [सूपखार रोड में  स्वयं का फोटो ]
इस पंक्ति का लेखक भी   इस घटना के कुछ दिन पहले हि  उस जगह तक  सैर पर परिवार सहित  गया था। और आती हुई  शेर की दहाड़ की  आवाज़ सुन कर तुरंत ही  वह
से वापस होने में अपनी भलाई समझे  थे।
यह जगह मध्य प्रदेश  सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाईगर के अंतर्गत  शामिल किये गये है । यहां के अधिकांश वन दक्षिण उष्ण कटिबंधीय, नम मिश्रित पर्णपाती वन हैं।
पार्क के 24 प्रतिशत भाग में साल वन, 66 प्रतिशत भाग में मिश्रित वन तथा 9 प्रतिशत भाग में घास के मैदान है। यहाँ   में इकोसिस्टम और  वन्य प्राणी संरक्षण का रोचक इतिहास है। यहां अनेक दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव व् पक्षी  व् अन्य जंतु  भी  पाये जाते हैं। उस समय यह जगह  सतपुड़ा पर्वत के मैकल श्रेणियों में आने से पुरे रेंज में  वन्य जीव के  विस्तार हेतु  यह बफर जोन के रूप में विकसित था । 
शिकारियों के  साथ नक्सलियों के द्वारा पार्क में आग लगाकर क्षति पहुंचाने की घटना भी  यहाँ पर  घटित हो चुकी है। इन विषमताओं के पश्चात भी  घास, फूस से बने  इस रेस्टहाउस के पास में सबसे खूबसूरत इलाका  है, यहां  की  प्राकृतिक  ठंडी हवा  काफी आकर्षित करते है  । 

यहाँ  कई प्रकार के पशुओं जैसे बाघ, तेंदुआ, ढोल (जंगली कुत्ते), गौर  (बाईसन), चीतल, सांभर, चोसिंघा, जंगली सूअर आदि को रहने एवं अपना भोजन ढूँढने के लिए सहायक हैं। दूधराज, मोर, सफ़ेद पेट वाला कटफोड़वा, भूरा कटफोड़वा, क्रेस्टेड सर्पंएंट ईगल, चेंजबल हॉक ईगल, वाइट रम्प  जैसे दुर्लभ पक्षी भी   आसपास  के घने जंगल में दूर तक  बहुतायत से मिलते है।
                    (रेस्ट हाउस के पास इसी तरह हिरणो का झुण्ड घूमते रहता है )

 विश्राम गृह  का  इलाका के पास  अनेको  जानवर  नदी में पानी पीने  आते   हुए  दीखते है।  और जो की  नदी किनारे की नरम घांस को  चरते  रहते  है  ।
 हमने अनेको बार  मन भर कर प्रकृति के इन खूबसूरत नजारों की  जी भर कर निहारा हुआ है । ये जगह  इकोसिस्टम का अच्छा उदाहरण है । 

 आपकी किस्मत अच्छी है तो तेंदुआ ,वाइल्ड बोर भालू आदि भी यह बिठली गाव सेलेकर सुपखर के बीच में प्रातः /संध्या गोधूलि बेला  में  दिख जायेंगे।   तेंदुआ अपनी खाल के रंग और छुप कर बैठने के तरीके से परिवेश   में इतना घुल मिल जाता है की वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स भी आसानी से उसे देख नहीं पाते । 
उद्यान में बंजर एवं हालोन नामक दो घाटियां है। मध्य प्रदेश के सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाईगर के अंतर्गत  शामिल किये गये है । यहां के अधिकांश वन दक्षिण उष्ण कटिबंधीय, नम मिश्रित पर्णपाती वन हैं। पार्क के 24 प्रतिशत भाग में साल वन, 66 प्रतिशत भाग में मिश्रित वन तथा 9 प्रतिशत भाग में घास के मैदान है। यहाँ   में इकोसिस्टम और  वन्य प्राणी संरक्षण का रोचक इतिहास है। 
 बालाघाट जिले की सीमा से लगा सूपखार रेंज का यह इलाका प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, किन्तु  अब  पहाड़ी मार्ग टूट-फूट गये हैं, पुलियों के टूटने से वर्षाकाल में  आवागमन बंद रहता है । कवर्धा जिले के मुख्यालय से कान्हा / बालाघाट  को जोड़ने वाला यह एकमात्र नज़दीक का मार्ग है।
                            ( सूपखार रेस्ट हाउस के पिछवाड़े )
सूपखार के  पीछे की तरफ से दृश्य 




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