"लक्ष्मीनारायण की फाइल"
(सर , ,उसमे लिखाना क्या है, कलेक्टर ने गुस्से से देखते हुये कहा तुम्हारे रेट लिस्ट?)अधिकारी कैसे कैसे,,,,,,,,,,,,,,,,?
मित्रो मैंने अनेको अधिकारी के साथ काम किया है। जिनमे आई ए ,एस राज्य प्रशासनिक सेवा तथा अन्य सोर्से से आये अधिकारी लोग भी रहे है।
इन सब के साथ काम करते करते सरकारी विभाग में ईमानदारी क्या और कैसे होता है उसकी परिभाषा क्या होती है आज तक समझ नही पाया ?
मै जिले मुख्यालय के ब्लॉक में पदस्थ था।
माह में एक बार समयसीमा की बैठक होती थी।
ऐसे ही एक बैठक में अचानक ही कलेक्टर ने एक राजस्व अधिकारी को बोला मिस्टर ,,,,,,,तुम एक बोर्ड बनवाओ।
सर ,
आज ही बनवा लेता हु , सर ,,,
राजस्व अधिकारी ने कलेक्टर को खुश करने तुरंत बोला।
किन्तु सर , ,उसमे लिखाना क्या है।
कलेक्टर ने गुस्से से देखते हुये कहा ,,,,,,तुम्हारे रेट लिस्ट?
अब उस अधिकारी की झेंपने की पारी थी।
सारे अधिकारी जो मीटिंग में मौजूद थे भी हंसने लगे।
अब मैं सोचने लगा की बात क्या हुई ,,,,?
क्यू सबके बीच में जलील किया ,,, ?
तब मुझे यह बात समझ में आया और मेरे सामने यह राज खुला की वो अपने चेम्बर में आते ही क्यों ऐसा कहते थे की लक्ष्मीनारायण की कितनीफाइल है ? वो सब फाइल ऊपर रख दो ,,,,?
और मुझे समझ में नही आता था की येलक्ष्मीनारायण कौन है, जिसकी की फाइल रोज़ ही साहब के सामने ऊपर पेश होती है।एक बार में निपटा क्यों नही देते ?
और ऐसा वो रोज़ ही कहते थे।
एक दिन मैंने पूछा भी ,किन्तु वे और उनके रीडर हस दिए ,और मैंने भी इस बात को ज्यादा गौर नही किया था।
एक दिन दरिद्र नारायणो ने उनकी शिकायत कर दी की , चुकी वे लक्ष्मि नारायण नही है इसीलिए उनकी फाइल काफी अरसे से लंबित है। कोई भी सुनवाई नही हो रही है ,,,?
जिस फाइल में लक्ष्मी नारायण को बैठाया जाता है ,वे सिर्फ उसी फाइल को छूते है। बाकि फाइल एक किनारे रख सिर्फ पेशी दे दी जाती है।
लक्ष्मीनारायण के आशय तो आप समझ ही गए होंगे।
खैर मीटिंग समाप्त हुयी ,मै भी उनके साथ ही उनके चैम्बर में चाय पीने आ गया। वे बोले देखो यार शर्मा जी अब यहाँ पर काम करने का जमाना नही रहा। कैसी बात करते है अफसर आपने देखा ही है।
तभी उनके रीडर नज़दीक आकर बोले सर लक्ष्मीनारायन की फाइल में दस्तखत कराने थे।
हम दोनों भौचक ,,,,,,,,फिर उसके चेहरे देख हस पड़े.।
दूसरे दिन ही वे भोपाल की और अपनी किसी नयी जगह में पदस्थापना कराने रवाना हो गए।
एक दिन मैंने पूछा भी ,किन्तु वे और उनके रीडर हस दिए ,और मैंने भी इस बात को ज्यादा गौर नही किया था।
एक दिन दरिद्र नारायणो ने उनकी शिकायत कर दी की , चुकी वे लक्ष्मि नारायण नही है इसीलिए उनकी फाइल काफी अरसे से लंबित है। कोई भी सुनवाई नही हो रही है ,,,?
जिस फाइल में लक्ष्मी नारायण को बैठाया जाता है ,वे सिर्फ उसी फाइल को छूते है। बाकि फाइल एक किनारे रख सिर्फ पेशी दे दी जाती है।
लक्ष्मीनारायण के आशय तो आप समझ ही गए होंगे।
खैर मीटिंग समाप्त हुयी ,मै भी उनके साथ ही उनके चैम्बर में चाय पीने आ गया। वे बोले देखो यार शर्मा जी अब यहाँ पर काम करने का जमाना नही रहा। कैसी बात करते है अफसर आपने देखा ही है।
तभी उनके रीडर नज़दीक आकर बोले सर लक्ष्मीनारायन की फाइल में दस्तखत कराने थे।
हम दोनों भौचक ,,,,,,,,फिर उसके चेहरे देख हस पड़े.।
दूसरे दिन ही वे भोपाल की और अपनी किसी नयी जगह में पदस्थापना कराने रवाना हो गए।
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