गुरुवार, 25 अगस्त 2016


सोनपुर ग्राम के 2 शिवलिंग

दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक के रायपुर सीमा से लगा प्राचीन ग्राम तरीघाट जहा की संस्कृती सिरपुर से भी प्राचीन माना जाता है ,से ही लगा हुआ खारून नदी के तट पर सोनपुर ग्राम बसा हुआ है। यहाँ के 2 शिवलिंग एवं जगत जननी माँ ज्वालादेवी की इस अंचल में काफी ख्याति है है तरीघाट यहाँ बसाहट के कई स्तर प्राप्त हुए हैं। प्रागैतिहासिक काल से लेकर मौर्य काल, शुंग काल, कुषाण काल एवं गुप्त काल तक के अवशेष प्राप्त हो रहे हैं। इससे यह तो तय है कि छत्तीसगढ़ में मल्हार के बाद पहली बार कहीं इतनी पुरानी सभ्यता के चिन्ह प्राप्त हो रहे हैं। नी सभ्यता के चिन्ह प्राप्त हो रहे हैं। इसी के समीप से खारुन नदी के अंदर से एक शिवलिंग 5 फीट का है जोमध्य धार में रेत के नीचे दबा हुआ मिला था। और दूसरा समीपस्थ बावड़ी में प्राप्त शिवलिंग साढ़े तीन फीटऊँचा है। दोनों शिवलिंगों के ऊपर का तिहाई भाग गोलाकार है और नीचे का भाग चौकोर है।लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है।


 इन्हें बैलगाड़ी से अनेको बार अन्यत्र मंदिर स्थापित कर ले जाने की कोशिस हुई। लेकिन बार बार बैलगाड़ी के चक्को के टूट जाने से कुंड के नज़दीक ही स्थापित कर दिया। इसी मूर्ति में किसी प्राचीन भाषा में. कुछ उत्कीर्ण है। नवरात्री के समय मंदिर के पास बावड़ी कुंड में देवी के जँवारों की पूजा अर्चना की जाती है। तत्पश्चात जँवारों को खारून नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। शायद ये पहला गाव है ,जहा की माँ ज्वाला देवी ,माँ गौरी कमाक्छ्या देवी के नाम से मुर्तिया मंदिर में स्थापित है। तथा यहाँ पर रहने वालो में इनके प्रति अत्यंत श्रद्धा है।यहा की ज्वालादेवी माता जी की मूल मूर्ती मिट्टी से बनी हुई है ,और वो भी ग्राम सोनपुर के ही एक कुम्भकार परिवार के द्वारा ही निर्मित है। इस गाव की और कई विशेषताए है, पवित्र खारून नदी इस गाव की जीवनदायिनी है। वैसे देखा जाये तो ग्राम सोनपुर और लामकेनि गाव के बीच यहाँ खारून नदी का पाट काफी चौड़ा लगभग एक किमी चौड़ा है


नीचे दोनों ही मूर्तियों के फोटो लगाए गए है :-

Like
 Comment
Comments
Lalit Sharma बढिया जानकारी, वैसे जिस दिन तरीघाट के उत्तखनन के लिए पहली कुदाल चली, मैं वहीं था और उससे 6 बरस पहले रावण भाठा का निरीक्षण कर चुका था।
Seshubabu Nelluru · Friends with DK Sharma
Please use english sir

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें