गहनों से सजी धजी लाल साडी में दुल्हन को दौड़ते देख किसी खतरे की आशंका या फिर मानवीय संवेदनशीलता कहे, उसने चलती रेलगाड़ी रोक दी ,,,,,,,?
वे दुर्ग(नाना जी के पैतृक मकान) से शादी होकर के ग्राम सोनपुर में व्याह होकर आयी थी। शहर से उनका किसी गांव में आने का यह पहला मौका था। क्योंकि उनकी शिक्षा दीक्षा दुर्ग शहर में ही हुआ था। खैर तब आवागमन के साधन काफी ही कम होने से बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन हुआ करता था। के साधन काफी ही कम होने से बैलगाड़ी ही एकमात्र साधन हुआ करता था। अभनपुर तक गांव से 15 किलोमीटर की यात्रा बैलगाड़ी में बैठकर रेल पकड़ने आयी थी। सो उसी से वे रायपुर स्थित अपने मायके के मकान जहा उनके पिता जी सर्विस में थे। में जाने के लिए निकली थी। और सुबेरे सुबेरे को रेलगाड़ी थी।
जब तक स्टेशन पहच प्लेटफार्म से बाहर बैलगाड़ी को खड़े कर नौकर उनका सामान निकलने लगे। रेलगाड़ी ने सिटी देकर भक भक धुंए छोड़ने चालू कर दिए।
माता जी की सहायता करने गांव से घर का दरोगा भी साथ में आया था। . देखते ही देखते रेल गाड़ी के चक्के ने घूमना प्रारम्भ कर दिये।
.अब घबरा कर लाल साडी पहनी गहनों से सजी धजी सहित दुल्हन बैलगाड़ी में से कूद पड़ी। क्योंकि दूसरी ट्रेन शाम में थी और या फिर बैलगाड़ी के कष्ट दायक यात्रा करना होता।
उधर दरोगा भी अपने सर में बांधे लाल गमछे को खोलकर हिलाते हुए गाड़ी रोको रोको चिल्लाते हुए नई नवेली मालकिन जिसे उसे पहुंचाने का दायित्व दिया गया था , चलती रेल के साथ दौड़ रही है,के पीछे वो भी गाड़ी के साथ दौड़ने लगा । ( क्योंकि उसने सुन रखा था कि लाल कपड़े देख रेल गाड़ी रुक जाती है )
माध्यमिक स्कूल में माता जी दौड़ में स्कूल चैंपियन भी रही है ,वे भी ट्रेन में चढ़ने दौड़ लगाने लगी। इनके पीछे पीछे बैलगाड़ी चालक नौकर सर में संदूक लिए दौड़ने लगा।
लाल साडी में दुल्हन ,लाल गमझे फहराते दरोगा को देख यात्रियो ने भी चिल्लाना शुरू कर दिया ।
खैर गार्ड का डिब्बा पार नही हुआ था , हरी झंडी दिखाते दिखाते पूरा माज़रा देख न जाने उसे क्या समझ आया उसने हिलते लाल गमझे और लालसाडी में गहनोंसे सजी धजी दुल्हन को दौड़ते देख किसी खतरे की आशंका या फिर मानवीय संवेदनशीलता कहे सिटी देकर लाल झड़ी दिखाने शुरू कर दिया।
गाड़ी का ड्राइवर और इंजिन में कोयला झोकते फायरमैन भी ये नज़ारा देख रहे थे।
धक् धक् धक् भक भक करते हुए सिटी बजाते गाड़ी खड़ी हो गई। माता जी कोउनके मायके तक सुरक्षित पहुचाने वाले सभी लोग जब रेल में सवार हो गए ,फिर रेल चल पड़ी
और ये घटना रायपुर पहुचते तक यात्रिओ का मनोरंजन का केंद्र रही तो नई नवेली दुल्हन के शर्माने का भी ,जिसने अनजाने में ही दौड़ लगा दी थी।
इस ट्रेन पर जब भी उनकी नज़र पड़ती वे हमे अपनी शादी के बाद की ये पहली घटना जरूर ही सुनाती थी। और मुझे भी मेरी माता जी जो हमारे बीच नही है।
इस रेल गाड़ी को देखते ही उनकी याद जरूर आ जाती है।और इस बात का दुःख भी रहेगा की ये गाड़ी अब हमेशा के लिए कुछ वर्षो बाद हमसे बिदा ले लेगा।साथ ही माता जी स्मृतियों से जुडी एक और महत्वपूर्ण कड़ी भी।
आदरणीय कलाम साहब (भु पु राष्ट्रपति ) तथा एशिया के एकमात्र सायफन सिस्टम से बने बांध माड़मसिल्ली की इंजीनियर मैडम सिल्ली भी इस ट्रेन में सफर किये हुए है ।जब तक स्टेशन पहच प्लेटफार्म से बाहर बैलगाड़ी को खड़े कर नौकर उनका सामान निकलने लगे। रेलगाड़ी ने सिटी देकर भक भक धुंए छोड़ने चालू कर दिए।
माता जी की सहायता करने गांव से घर का दरोगा भी साथ में आया था। . देखते ही देखते रेल गाड़ी के चक्के ने घूमना प्रारम्भ कर दिये।
.अब घबरा कर लाल साडी पहनी गहनों से सजी धजी सहित दुल्हन बैलगाड़ी में से कूद पड़ी। क्योंकि दूसरी ट्रेन शाम में थी और या फिर बैलगाड़ी के कष्ट दायक यात्रा करना होता।
उधर दरोगा भी अपने सर में बांधे लाल गमछे को खोलकर हिलाते हुए गाड़ी रोको रोको चिल्लाते हुए नई नवेली मालकिन जिसे उसे पहुंचाने का दायित्व दिया गया था , चलती रेल के साथ दौड़ रही है,के पीछे वो भी गाड़ी के साथ दौड़ने लगा । ( क्योंकि उसने सुन रखा था कि लाल कपड़े देख रेल गाड़ी रुक जाती है )
माध्यमिक स्कूल में माता जी दौड़ में स्कूल चैंपियन भी रही है ,वे भी ट्रेन में चढ़ने दौड़ लगाने लगी। इनके पीछे पीछे बैलगाड़ी चालक नौकर सर में संदूक लिए दौड़ने लगा।
लाल साडी में दुल्हन ,लाल गमझे फहराते दरोगा को देख यात्रियो ने भी चिल्लाना शुरू कर दिया ।
खैर गार्ड का डिब्बा पार नही हुआ था , हरी झंडी दिखाते दिखाते पूरा माज़रा देख न जाने उसे क्या समझ आया उसने हिलते लाल गमझे और लालसाडी में गहनोंसे सजी धजी दुल्हन को दौड़ते देख किसी खतरे की आशंका या फिर मानवीय संवेदनशीलता कहे सिटी देकर लाल झड़ी दिखाने शुरू कर दिया।
गाड़ी का ड्राइवर और इंजिन में कोयला झोकते फायरमैन भी ये नज़ारा देख रहे थे।
धक् धक् धक् भक भक करते हुए सिटी बजाते गाड़ी खड़ी हो गई। माता जी कोउनके मायके तक सुरक्षित पहुचाने वाले सभी लोग जब रेल में सवार हो गए ,फिर रेल चल पड़ी
और ये घटना रायपुर पहुचते तक यात्रिओ का मनोरंजन का केंद्र रही तो नई नवेली दुल्हन के शर्माने का भी ,जिसने अनजाने में ही दौड़ लगा दी थी।
इस ट्रेन पर जब भी उनकी नज़र पड़ती वे हमे अपनी शादी के बाद की ये पहली घटना जरूर ही सुनाती थी। और मुझे भी मेरी माता जी जो हमारे बीच नही है।
इस रेल गाड़ी को देखते ही उनकी याद जरूर आ जाती है।और इस बात का दुःख भी रहेगा की ये गाड़ी अब हमेशा के लिए कुछ वर्षो बाद हमसे बिदा ले लेगा।साथ ही माता जी स्मृतियों से जुडी एक और महत्वपूर्ण कड़ी भी।
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