तरीघाट छत्तीसगढ़ ,खारून नदी घाटी सभ्यता
तरीघाट मे राजा जगतपाल के द्वारा निर्मित गांव के बाहर मिट्टी के टीलो के पास स्थित मां महामाया मंदिर ही एक मात्र पत्थरो की बनी 2300 वर्ष पूर्व प्राचीन मंदिर था।
तरीघाट मे जानवरों की हड्डियों से बनाए गए तीरों के फल के अलावा मिट्टी को पकाकर बनाए गए ऐसे कई बर्तन मिले हैं, जिनकी फिनिश हजारों सालों तक मिट्टी में दबे होने के बावजूद खत्म नहीं हुई।
यहां खुदाई में शुंग और सातवाहन राजाओं के काल के सिक्के भी मिले हैं। खुदाई में मिट्टी से बनी सिंह और सांड की आकृति मिली है।
तरीघाट की खुदाई में पहली बार ब्राम्ही लिपी में लिखी हुई सामवेद के चार अक्षरों की मुहर प्राप्त हुई हैं,
पुरातत्व विभाग के अनुसार खुदाई में अगर और प्रमाण मिल गए तो तरीघाट राज्य की सबसे पुरानी मानव बसाहट होगी।
खुदाई में वेल प्लांड सिटी के अवशेष मिले हैं। दो तरफ घर, कमरे आदि बने हुए हैं। बीच में बीस फुट की सड़क है। अभी पंद्रह फुट गहरी खुदाई हुई है। निचली सतह की प्राकृतिक जमीन नहीं मिली है।
तरीघाट खारून नदी के किनारे किसी जमाने में एक बड़ा व्यापारिक केन्द्र रहा होगा. सभी टीलों का भू-उपग्रह आधारित सर्वेक्षण भी कराया गया है.
तरीघाट की खुदाई में लगभग 11 प्रकार की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं, जिसमें केश सज्जा अलग-अलग प्रकार की हैं। पहली बार इस प्रकार की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। पुरातत्व विभाग के अफसर का कहना है कि वे खुद इन मूर्तियों की केश सज्जाओं की बारिकियां देख कर अचंभित हैं।
तरीघाट के यात्रा का वृतांत बाद मे अपने ब्लॉग मे लिखूंगा ।
तरीघाट के यात्रा का वृतांत बाद मे अपने ब्लॉग मे लिखूंगा ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें