भारत का एक अजूबा गांव : यहां दो घंटे पहले ही अस्त हो जाता है सूरज, ( जानिए हैरान करता सच ),
डी.के.शर्मा सुंदरनगर रायपुर
जैसे की आप जानते है ,यह शास्वत सत्य है की सूरज के निकलने और अस्त होने का समय निर्धारित है . कम से कम भारत में कुछ मिनटो के फासले से हर जगह सुर्योदय और सूर्यास्त हो रहा है .
लेकिन मध्यप्रदेश मं कटनी जिला का एक गाव बाँधा – इमलाज़ में सूर्य देवता समय से करीब ०२ घंटा पहले हि बिदा ले लेता है .करीब ओ ४ बजे शाम के बाद ही इस गाव में आश्चर्य जनक तरीके से गोधुली बेला का एहसास होने लगता है . कटनी जिला मुख्यालय से 20 कि.मी.दूर विन्ध्याचल पर्वत के आँचल में बसा रीठी तहसील का यह गाव प्रकृति के अद्भुत नज़ारे से परिपूर्ण है . बाँधा और इमलाज़ गाव पहाड़ की तलहठी में बसा हुआ है .और सूर्य देवता प्रतिदिन शाम ०४ बजे ही पहाड़ की ओट में छिप जाते है ,जिससे वहां पर शाम सा माहोल बनने लगता है .
इस गाव की दिनचर्या अन्य गाव से अलग है , सुबह तो समय पर लोग अपना दिनचर्या ,और काम –धंधा प्रारंभ करते है .किन्तु शाम को अन्य गाव की अपेक्छा 02 घंटे पहले ही अपना काम धाम समेटना पड जाता है .चरवाहे ४ बजे से ही गाव की और कूच करना प्रारंभ कर देते है .वही मजदूर और किसान इसी समय को अपनी देहाडी समझ लेते है.किन्तु यह बात अलग है की घडी के अनुसार उन्हें 08 घंटे का समय तक मिहनत पूरा करना होता है .ग्रामवासियों के अनुसार चाहे कोई भी ऋतू हो शरद ,वर्षा या गर्मी कोई भी ऋतू हो वह की दिनचर्या पर कोई भी प्रभाव नही पड़ता है .
रोज़ शाम को 04 बजे के बाद 15 से 20 मिनट के अन्तराल में वह अँधेरा छाना शुरू हो जाता है . जबकि दुसरे गावो में उजाला रहता है .ग्रामवासियों के अनुसार भले ही प्रकृति का यह अनूठापन उनकी आदत में आ गया है . लेकिन शाम को 04 बजे के आसपास पहुचने वाले दुसरे गाव के पहुच्नेवाले लोग एकदम आश्चर्यचकित हो जाते है जब एकाएक अँधेरा छा जाता है . तो वह सोचने को विवश हो जाता है की यकाएक शाम जल्दी कैसे हो गयी .दरअसल गाव के पश्चिम भाग में उची पहाडीयो की श्रृंखला है ,जिसकी छाँव दिन में भी शाम का सा आभास देने लगता है बाँधा इमलाज़ गाव एक दुसरे से लगे हुए है और ये गाव ऊचें पहाड़ की तलहटी में बसे हुए है .
भूगोल शास्त्र के जानकार डॉ.एस.बी.भरतद्वाज़ के अनुसार पृथ्वी अपनी धुरी पर घुमती है.. यह धुरी एक काल्पनिक रेखा है .जो की उत्तर ध्रूव से दक्षिण धृव तक गुजरती है .हमे पृथ्वी के घुमने का एहसास भी नही होता क्युकी वः एक ही गति से घुमती रहती है .और इसी क्रिया के कारण दिन और रात होता है .बाँधा और इमलाज़ गाव पर्वत की तलहटी में बसा हुवा होने के कारण सूरज जल्दी छिप जाता है बाँधा इमलाज़ गाव एक दुसरे से लगे हुए है और ये गाव ऊचें पहाड़ की तलहटी में बसे हुए है . गाव पश्चिम में उची पर्वत श्रृंखला है , , की शाम को ०४ बजे से ही शाम होने का आभास कराने लगता है. शाम ०४ बजे के बाद सूर्य की किरण शीतल हो जाती है जिससे इस गाव में ठण्ड का आभास होता है .गाव के लोग भले ही ०१ से २ घंटे पहले अपनी दिनचर्या भले ही समेत लेवे .पर सूर्यास्त का समय वही माना जावेगा जो की उस मौसम में निर्धारित है
लेकिन मध्यप्रदेश मं कटनी जिला का एक गाव बाँधा – इमलाज़ में सूर्य देवता समय से करीब ०२ घंटा पहले हि बिदा ले लेता है .करीब ओ ४ बजे शाम के बाद ही इस गाव में आश्चर्य जनक तरीके से गोधुली बेला का एहसास होने लगता है . कटनी जिला मुख्यालय से 20 कि.मी.दूर विन्ध्याचल पर्वत के आँचल में बसा रीठी तहसील का यह गाव प्रकृति के अद्भुत नज़ारे से परिपूर्ण है . बाँधा और इमलाज़ गाव पहाड़ की तलहठी में बसा हुआ है .और सूर्य देवता प्रतिदिन शाम ०४ बजे ही पहाड़ की ओट में छिप जाते है ,जिससे वहां पर शाम सा माहोल बनने लगता है .
इस गाव की दिनचर्या अन्य गाव से अलग है , सुबह तो समय पर लोग अपना दिनचर्या ,और काम –धंधा प्रारंभ करते है .किन्तु शाम को अन्य गाव की अपेक्छा 02 घंटे पहले ही अपना काम धाम समेटना पड जाता है .चरवाहे ४ बजे से ही गाव की और कूच करना प्रारंभ कर देते है .वही मजदूर और किसान इसी समय को अपनी देहाडी समझ लेते है.किन्तु यह बात अलग है की घडी के अनुसार उन्हें 08 घंटे का समय तक मिहनत पूरा करना होता है .ग्रामवासियों के अनुसार चाहे कोई भी ऋतू हो शरद ,वर्षा या गर्मी कोई भी ऋतू हो वह की दिनचर्या पर कोई भी प्रभाव नही पड़ता है .
रोज़ शाम को 04 बजे के बाद 15 से 20 मिनट के अन्तराल में वह अँधेरा छाना शुरू हो जाता है . जबकि दुसरे गावो में उजाला रहता है .ग्रामवासियों के अनुसार भले ही प्रकृति का यह अनूठापन उनकी आदत में आ गया है . लेकिन शाम को 04 बजे के आसपास पहुचने वाले दुसरे गाव के पहुच्नेवाले लोग एकदम आश्चर्यचकित हो जाते है जब एकाएक अँधेरा छा जाता है . तो वह सोचने को विवश हो जाता है की यकाएक शाम जल्दी कैसे हो गयी .दरअसल गाव के पश्चिम भाग में उची पहाडीयो की श्रृंखला है ,जिसकी छाँव दिन में भी शाम का सा आभास देने लगता है बाँधा इमलाज़ गाव एक दुसरे से लगे हुए है और ये गाव ऊचें पहाड़ की तलहटी में बसे हुए है .
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