रोज गायब हो जाने वाला महादेव मंदिर! अद्भुत नज़ारा! कुदरत का ,,,
Dk Sharma 113,त्रिमूर्तिचौक सुंदरनगर रायपुर छत्तीसगढ़
धार्मिक भावना तो लोगो में रहती हि है ,पर कभी कभी रहस्यपूर्ण स्थल भी लोगो के आस्था के केंद्र बन जाते है । आज के समय में एक ऐसा शिव मंदिर गुजरात में स्थापित है जो अपनी कुछ खास और दिलचस्प चीजों की वजह से रोज़ाना लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
यह मंदिर खास इसलिए है क्यूंकि यह रोज़ जलमग्न हो गायब हो जाता है और बाद में फिर से देखाई देने लगता है। जी हाँ,यह बिल्कुल सच है इसलिए इसे भारत का गायब होने वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है। यहाँ आपको प्रकृति के अनोखे नज़ारे देखने को मिलेंगे। गुजरात में स्थित यह स्तंभेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो कवी कम्बोई नगर में स्थित है। यह मंदिर गुजरात में अरब सागर के तट और खंबात की खाड़ी के बीच में स्थित है।
यह मंदिर हर रोज़ उच्च ज्वार आने के दौरान पानी में डूब जाता है और जब ज्वार का स्तर कम हो जाता है तो फिर से दिखाई पड़ने लगता है। यह फिर आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। पूरे साल देश भर से लोग इस अद्भुत नज़ारे के दर्शन करने यहाँ आते हैं।
जलमग्न स्तंभेश्वर महादेव मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कथा पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं भगवान कार्तिकेय द्वारा स्थापित किया गया था। एक कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय दानव ताड़कासुर को मारने के बाद खुद को दोषी समझ दुखी होने लगे। तो भगवान विष्णु ने यह कह कर उन्हें सांत्वना दी कि किसी दानव को जो आम लोगों को बिना मतलब के परेशान करता है, उसे मरना कोई गलत बात नहीं है। हालाँकि फिर भी भगवान कार्तिकेय शिव जी के महान भक्त को मारने के पाप से दोषमुक्त होना चाहते थे। इस पर भगवान विष्णु जी ने उन्हें उपाय बताया कि वे यहाँ पर शिवलिंग को स्थापित कर रोज़ माफ़ी के लिए प्रार्थना करें।
कैसे पहुँचें ,,,,,?
कवी कम्बोई गुजरात के वडोदरा शहर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कवी कम्बोई गुजरात के प्रमुख शहरों जैसे वडोदरा, भरूच और भावनगर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
किन्तु बेहतर यह होगा कि आप कोई निजी कैब या टैक्सी बुक कराकर वडोदरा से यहाँ तक की यात्रा करें।
वडोदरा रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नोट: हालाँकि मंदिर के ओफिशियल वेबसाइट में मंदिर के खुलने और बंद होने का समय दिया गया है। पर अगर आपको प्रकृति के इस चमत्कार को देखना है तो आपको इस मंदिर को पूरा दिन देना होगा जिससे कि आप मंदिर को समुद्र में डूबता हुआ और वापस उसी अवस्था में आते हुए देख सकें।
तो आप अपनी गुजरात की यात्रा में इस अद्वितीय मंदिर की यात्रा करना बिल्कुल भी ना भूलें।
अन्य लेख पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक में क्लिक करे :--यह मंदिर हर रोज़ उच्च ज्वार आने के दौरान पानी में डूब जाता है और जब ज्वार का स्तर कम हो जाता है तो फिर से दिखाई पड़ने लगता है। यह फिर आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। पूरे साल देश भर से लोग इस अद्भुत नज़ारे के दर्शन करने यहाँ आते हैं।
जलमग्न स्तंभेश्वर महादेव मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कथा पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं भगवान कार्तिकेय द्वारा स्थापित किया गया था। एक कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय दानव ताड़कासुर को मारने के बाद खुद को दोषी समझ दुखी होने लगे। तो भगवान विष्णु ने यह कह कर उन्हें सांत्वना दी कि किसी दानव को जो आम लोगों को बिना मतलब के परेशान करता है, उसे मरना कोई गलत बात नहीं है। हालाँकि फिर भी भगवान कार्तिकेय शिव जी के महान भक्त को मारने के पाप से दोषमुक्त होना चाहते थे। इस पर भगवान विष्णु जी ने उन्हें उपाय बताया कि वे यहाँ पर शिवलिंग को स्थापित कर रोज़ माफ़ी के लिए प्रार्थना करें।
कैसे पहुँचें ,,,,,?
कवी कम्बोई गुजरात के वडोदरा शहर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कवी कम्बोई गुजरात के प्रमुख शहरों जैसे वडोदरा, भरूच और भावनगर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
किन्तु बेहतर यह होगा कि आप कोई निजी कैब या टैक्सी बुक कराकर वडोदरा से यहाँ तक की यात्रा करें।
वडोदरा रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नोट: हालाँकि मंदिर के ओफिशियल वेबसाइट में मंदिर के खुलने और बंद होने का समय दिया गया है। पर अगर आपको प्रकृति के इस चमत्कार को देखना है तो आपको इस मंदिर को पूरा दिन देना होगा जिससे कि आप मंदिर को समुद्र में डूबता हुआ और वापस उसी अवस्था में आते हुए देख सकें।
तो आप अपनी गुजरात की यात्रा में इस अद्वितीय मंदिर की यात्रा करना बिल्कुल भी ना भूलें।
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यह मंदिर खास इसलिए है क्यूंकि यह रोज़ जलमग्न हो गायब हो जाता है और बाद में फिर से देखाई देने लगता है। जी हाँ,यह बिल्कुल सच है इसलिए इसे भारत का गायब होने वाला शिव मंदिर भी कहा जाता है। यहाँ आपको प्रकृति के अनोखे नज़ारे देखने को मिलेंगे। गुजरात में स्थित यह स्तंभेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो कवी कम्बोई नगर में स्थित है। यह मंदिर गुजरात में अरब सागर के तट और खंबात की खाड़ी के बीच में स्थित है।
यह मंदिर हर रोज़ उच्च ज्वार आने के दौरान पानी में डूब जाता है और जब ज्वार का स्तर कम हो जाता है तो फिर से दिखाई पड़ने लगता है। यह फिर आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। पूरे साल देश भर से लोग इस अद्भुत नज़ारे के दर्शन करने यहाँ आते हैं।
जलमग्न स्तंभेश्वर महादेव मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कथा पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं भगवान कार्तिकेय द्वारा स्थापित किया गया था। एक कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय दानव ताड़कासुर को मारने के बाद खुद को दोषी समझ दुखी होने लगे। तो भगवान विष्णु ने यह कह कर उन्हें सांत्वना दी कि किसी दानव को जो आम लोगों को बिना मतलब के परेशान करता है, उसे मरना कोई गलत बात नहीं है। हालाँकि फिर भी भगवान कार्तिकेय शिव जी के महान भक्त को मारने के पाप से दोषमुक्त होना चाहते थे। इस पर भगवान विष्णु जी ने उन्हें उपाय बताया कि वे यहाँ पर शिवलिंग को स्थापित कर रोज़ माफ़ी के लिए प्रार्थना करें।
कैसे पहुँचें ,,,,,?
कवी कम्बोई गुजरात के वडोदरा शहर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कवी कम्बोई गुजरात के प्रमुख शहरों जैसे वडोदरा, भरूच और भावनगर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
किन्तु बेहतर यह होगा कि आप कोई निजी कैब या टैक्सी बुक कराकर वडोदरा से यहाँ तक की यात्रा करें।
वडोदरा रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नोट: हालाँकि मंदिर के ओफिशियल वेबसाइट में मंदिर के खुलने और बंद होने का समय दिया गया है। पर अगर आपको प्रकृति के इस चमत्कार को देखना है तो आपको इस मंदिर को पूरा दिन देना होगा जिससे कि आप मंदिर को समुद्र में डूबता हुआ और वापस उसी अवस्था में आते हुए देख सकें।
तो आप अपनी गुजरात की यात्रा में इस अद्वितीय मंदिर की यात्रा करना बिल्कुल भी ना भूलें।
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यह मंदिर हर रोज़ उच्च ज्वार आने के दौरान पानी में डूब जाता है और जब ज्वार का स्तर कम हो जाता है तो फिर से दिखाई पड़ने लगता है। यह फिर आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। पूरे साल देश भर से लोग इस अद्भुत नज़ारे के दर्शन करने यहाँ आते हैं। जलमग्न स्तंभेश्वर महादेव मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कथा पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं भगवान कार्तिकेय द्वारा स्थापित किया गया था। एक कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय दानव ताड़कासुर को मारने के बाद खुद को दोषी समझ दुखी होने लगे। तो भगवान विष्णु ने यह कह कर उन्हें सांत्वना दी कि किसी दानव को जो आम लोगों को बिना मतलब के परेशान करता है, उसे मरना कोई गलत बात नहीं है। हालाँकि फिर भी भगवान कार्तिकेय शिव जी के महान भक्त को मारने के पाप से दोषमुक्त होना चाहते थे। इस पर भगवान विष्णु जी ने उन्हें उपाय बताया कि वे यहाँ पर शिवलिंग को स्थापित कर रोज़ माफ़ी के लिए प्रार्थना करें।
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कवी कम्बोई गुजरात के वडोदरा शहर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कवी कम्बोई गुजरात के प्रमुख शहरों जैसे वडोदरा, भरूच और भावनगर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
किन्तु बेहतर यह होगा कि आप कोई निजी कैब या टैक्सी बुक कराकर वडोदरा से यहाँ तक की यात्रा करें।
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स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नोट: हालाँकि मंदिर के ओफिशियल वेबसाइट में मंदिर के खुलने और बंद होने का समय दिया गया है। पर अगर आपको प्रकृति के इस चमत्कार को देखना है तो आपको इस मंदिर को पूरा दिन देना होगा जिससे कि आप मंदिर को समुद्र में डूबता हुआ और वापस उसी अवस्था में आते हुए देख सकें।
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जलमग्न स्तंभेश्वर महादेव मंदिर स्तंभेश्वर महादेव मंदिर से जुड़ी कथा पौराणिक कथा के अनुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयं भगवान कार्तिकेय द्वारा स्थापित किया गया था। एक कथा के अनुसार, भगवान कार्तिकेय दानव ताड़कासुर को मारने के बाद खुद को दोषी समझ दुखी होने लगे। तो भगवान विष्णु ने यह कह कर उन्हें सांत्वना दी कि किसी दानव को जो आम लोगों को बिना मतलब के परेशान करता है, उसे मरना कोई गलत बात नहीं है। हालाँकि फिर भी भगवान कार्तिकेय शिव जी के महान भक्त को मारने के पाप से दोषमुक्त होना चाहते थे। इस पर भगवान विष्णु जी ने उन्हें उपाय बताया कि वे यहाँ पर शिवलिंग को स्थापित कर रोज़ माफ़ी के लिए प्रार्थना करें।
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कवी कम्बोई गुजरात के वडोदरा शहर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कवी कम्बोई गुजरात के प्रमुख शहरों जैसे वडोदरा, भरूच और भावनगर से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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वडोदरा रेलवे स्टेशन यहाँ का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है।
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर नोट: हालाँकि मंदिर के ओफिशियल वेबसाइट में मंदिर के खुलने और बंद होने का समय दिया गया है। पर अगर आपको प्रकृति के इस चमत्कार को देखना है तो आपको इस मंदिर को पूरा दिन देना होगा जिससे कि आप मंदिर को समुद्र में डूबता हुआ और वापस उसी अवस्था में आते हुए देख सकें।
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