" अर्की--लुटरु महादेव मंदिर " में एक ऐसा शिवलिंग भी है जहाँ पर सदियों से सिगरेट रखी जाती है, जो खुद सुलगती है और धुंआ ऐसे उड़ता है जैसे कोई कश लगा रहा हो,,,,,,!
भारत एक महान आस्थावान देश है ,जहा पर देवी देवताओ के साथ सामान्य आदमी की आदत व्यवहार भी जुड़ जाती है ,जैसे की कही वे शराब पी रहे है तो कही सिगरेट .भक्त जन अपनी स्वाभाव ,आदत अनुसार भगवान की मूर्ति को भी
बनाने की कोशिस करते है . इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर शिवलिंग को लोग सिगरेट पिलाते हैं। सुनने में भले ही अजीब लगे, मगर लोगों का मानना है कि शिवलिंग के रूप में विराजमान भोले बाबा सिगरेट पीते हैं।
जी हां आपको शायद मेरी बात पर विश्वास हो रहा है की ये तो मै नही जानता किन्तु ये सत्य है की यह एक ऐसी छुपी हुई जगह है शिमला से समीप ही हिमाचल प्रदेश के के सोलन जिले में अरकी से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लुतुरु महादेव मंदिर में एक ऐसा शिवलिंग भी है जहाँ पर सदियों से सिगरेट रखी जाती है, जो खुद सुलगती है और धुंआ ऐसे उड़ता है जैसे कोई कश लगा रहा हो।
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण बाघल के राजा ने 1621 में किया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव राजा के सपने में आए और उन्हें मंदिर का निर्माण करने के लिये कहा। इस स्थान पर एक शिवलिंग स्थापित है जो भगवान शिव का प्रतीक है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर वास्तुकला की शिखर शैली का उत्कृष्ट नमूना है। ऊँचाई पर स्थित होने के कारण यह आसपास का अत्यंत हि मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
गुफा में जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। सीढ़ियां खत्म होते ही बहुत बड़ी गुफा है और बिल्कुल सामने लुटरु महादेव के दर्शन होते हैं।लिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपर प्रणवाख्य महादेव स्थित हैं।
प्राचीन लुटरु महादेव गुफा एक पौराणिक .....चमत्कार की तरह है। आग्रेय चट्टानों से निर्मित इस गुफा की लम्बाई पूर्व से पश्चिम की तरफ लगभग 25 फ़ीट तथा उत्तर से दक्षिण की ओर 42 फ़ीट है। गुफा की ऊंचाई तल से 6 फ़ीट से 30 फ़ीट तक है। गुफा के ऊपर ढलुआ चट्टान के रूप में एक कोने से प्रकाश अंदर आता है। गुफा की ऊंचाई समुद्र तल से 5500 फ़ीट है ओर इस के चारों ओर 150 फ़ीट का क्षेत्र एक विस्तृत चट्टान के रूप में फैला है। गुफा के अंदर मध्य भाग में 8 इंच लम्बी प्राचीन प्राकृतिक शिव की पिंडी विधमान है। गुफा की छत में परतदार चट्टानों के रूप में भिन्न भिन्न लंबाइयों के छोटे छोटे गाय के थनो के अकार के शिवलिंग दिखाई पड़ते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इनसे दूध की धारा बहती थी। लेकिन अब इन प्राकृतिक थनो से पानी की कुछ बुँदे टपकती रहती हैं, जिन्हे देख कर मानव आचर्यचकित हो जाता है।
यहाँ पर शिवलिंग काफी अलग तरह का है आमतौर पर शिवलिंग की सतह पतली होती है। मगर यहाँ पर बने शिवलिंग में काफी गड्ढे बने हुए हैं। लोग इन्ही गड्ढों में सिगरेट फंसा देते हैं कुछ ही देर में सिगरेट खुद ब खुद सुलगने लगती है, मानो कोई कश ले रहा हो। एक बात जो यहाँ ध्यान देने वाली है शिवलिंग के ठीक ऊपर एक गुफा पर छोटा सा गाय के थन के जैसा एक शिवलिंग बना है जहाँ से पानी की एक एक बूँद ठीक शिवलिंग के ऊपर गिरती रहती है।
गुफा के नीचे विशाल धर्मशाला का भी निर्माण किया गया था। लोगों के बीच लुटरु महादेव की बड़ी मान्यता है। दूर दूर से लोग यहाँ आते हैं।
अगर वैज्ञानिक तरीके से देखें तो ये कोई चमत्कार नहीं है। क्योंकि मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ पर हवा भी तेज चलती है। जैसे ही हवा तेज चलती है तो शिवलिंग के आस पास की हवा तेजी से गलियारा बनाती हुई निकलती है। इस से शिवलिंग पर फंसा कर रखी सिगरेट की आग तेज होती है और सुलगने लगती है। गुफा का वातावरण बहुत ही भक्तिमय और पावन है।
लेकिन एक बात तो तय है कि इस गुफा में आ करआप बहुत ही आत्मिक और मानसिक शांति महसूस करेंगे .
गुफा के पास बनी 5-6 कमरों की धर्मशाला बनी हुई है और । धर्मशाला के कमरे खुले, हवादार और साफ़ सुथरे है। भोजन भी बहुत ही स्वादिष्ट मिलेगा ।यहां पर आप चाहे तो रात्रि विश्राम भी कर सकते है .
गलत है ऐसा करना
कोई नहीं जानता की यह परंपरा कब शुरू हुई। मगर कोई भी शख्स यह नहीं चाहता कि भगवान के साथ कोई गलत चीज़ जुड़े। मंदिरों में शराब व सिगरेट आदि का सेवन गलत माना जाता है। ऊपर से यह जानते हुए भी यह चमत्कार नहीं है, जबरन शिवलिंग पर सिगरेट फंसाना अपमानजनक है। उम्मीद है कि मंदिर प्रशासन व स्थानीय लोग इस पर रोक लगाने के लिए आगे आना चाहिए ।